nipah virus symptoms and treatment

Nipah virus symptoms and treatment भारत के कई राज्यों में निपाह वायरस का कहर देखने को मिल रहा है. इसके बढ़ते हुए वायरस से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. निपाह वायरस का पहला मामला सबसे पहले सिंगापुर-मलेशिया में सामने आया. ये वायरस सिंगापुर-मलेशिया में 1998 और 1999 में सामने आया था. निपाह वायरस सबसे पहले चमगादड़, सुअर और अन्य जीवों को प्रभावित करता है. इसके लक्षण सबसे पहले मलेशिया में दिखाई दिए थे जब एक व्यक्ति को इस वायरस ने चपेट में लिया और बाद में उस व्यक्ति की मौत हो गई थी. आइये जानते है Nipah virus symptoms and treatment.

Nipah virus symptoms and treatment

What is Nipah Virus? – निपाह वायरस क्या है?

निपाह वायरस चमगादड़ से फैलने वाला वायरस है. चमगादड़ जब किसी फलों को दांत मारती तो वह फल संक्रमित हो जाते हैं. इन संक्रमित फलों के खाने से मनुष्य अत्यधिक बीमार और उसकी मृत्यु भी हो सकती है. संक्रमित व्यक्ति के जरिए ये बाकी इंसानों में फैल सकता है. चमगादड़ों से ही ये वायरस सुअर में भी फ़ैल जाता है. जो व्यक्ति सुअर के नजदीक रहते हैं या सुअर का मांस खाते हैं ये उन्हें भी संक्रमित कर सकता है.

निपाह वायरस में अक्सर सिरदर्द, तेज बुखार, बदन दर्द, उल्टी आना, गर्दन का जकड़ना, रोशनी से परेशानी होना आदि शामिल हो सकते हैं. अधिक परेशानी बढ़ने पर व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है.

निपाह वायरस कैसे फैलता है?

निपाह वायरस जब चमगादड़ फलों में दांत मारती है तो वह फल संक्रमित हो जाते हैं इन संक्रमित फलों को मनुष्य खा ले तो वह इस वायरस की चपेट में आ सकता है. चमगादड़ से ही निपाह वायरस सुअर में फैलता है जो मनुष्य सुअर का मांस खाते हैं वह भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं. यह वायरस एन्सेफलाइटिस का कारण बनता है। यह वायरस फ्रूट बैट्स के जरिये लोगों में फ़ैल सकता है.

Nipah Virus Symptoms – निपाह वायरस के लक्षण

निपाह वायरस से पीड़ित मनुष्य को इस इन्सेफलेटिक सिंड्रोम के रूप में तेज संक्रमण बुखार, बदन दर्द, मानसिक भ्रम, विचलन, गर्दन का जकड़ना, रोशनी से परेशानी,कोमा, और अंत में मौत होने के लक्षण नज़र आते हैं.

निपाह वायरस से बचाव

निपाह वायरस से बचने का सबसे आसान उपाय है सही देखभाल, इस वायरस से बचने के लिए खाने की चीजों को स्पेसिअली फलों को देखभाल कर ही खाएं. सुअर के मांस का सेवन अधिक ना करें. इस वायरस से लड़ने के लिए रिबावायरिन नामक दवाईकाफी हद तक प्रभावशाली है. संक्रमित सुअर, चमगादड़ या अन्य संक्रमित जीवों से दूरी बनाएं रखें. मनुष्य के लिए अभी इसका कोई एनआईवी उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है. फिलहाल सही देखभाल ही बचाव का एक अहम उपाय है.

भारत में निपाह वायरस का पहला मामला

भारत में इससे जुड़ा पहला मामला साल 2001 में पश्चिम बंगाल में सिल्लीगुड़ी जिले में सामने आया था. वहीं निपाह वायरस का दूसरा मामला साल 2007 में पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में सामने आया था. ये दोनों जिले बांग्लादेश के बॉर्डर से करीब हैं.

nipah virus symptoms and treatment निपाह वायरस से बचने के लिए सही देखभाल विशेष जरुरी है. निपाह वायरस से बचने के लिए संक्रमित जीवों जैसे सुअर, चमगादड़ और अन्य जीवों से दूरी बनाएं रखें. इस पोस्ट को शेयर जरुर करें ताकि निपाह वायरस की जानकारी सभी को मिल सके.

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