
Essay on crow in hindi – कौऐ पर आसान शब्दों में लिखा गया यह निबंध class 9th, 10th, 11th, 12th तक के सभी विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है जिससे बच्चे इसे आसानी से समझ व याद कर सकते हैं। और wikiluv इस निबंध लेख की मदद से किसी भी परीक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में लिखकर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
Essay on crow in hindi
प्रस्तावना :- कौवा पूरे विश्व भर में पाया जाने वाला 40 से अधिक प्रजातियों वाला पक्षी है जो अलग-अलग देशों में निवास करती है। इसका वैज्ञानिक नाम Corvus है। कौआ एक साधारण पक्षी होता है, लेकिन इसमें असाधारण गुण भी होते है। इसको अनेकों नाम से जाना जाता हैं। English – crow, Hindi – kaua, कौआ, कौए, कौवा, काग, वहीं भारत के राजस्थान में इसको ‘कागला’ तथा मारवाडी भाषा में ‘हाडा’ कहा जाता हैं।
कौवों की शारिरिक संरचना व आकर :- कौवा मध्यम आकार का पक्षी है। भारत में पाई जाने वाली प्रजाति का आकार लगभग 17 से 19 इंच होता है। इनके शरीर का वजन लगभग आधा किलो से लेकर डेढ़ किलो तक हो सकता है।जिसकी लंम्बाई करीब फुट तक होती हैं। जंगली कौए पूर्ण रूप से काले रंग के होते हैं और शहरी कौए से थोड़े से बड़े आकार के होते हैं। शहर या गांव में ज्यादातर ऐसे कौए पाए जाते है जिनकी गर्दन का रंग स्लेटी (grey) और पंखों और बांकी का हिस्सा काले रंग का होता हैं। कौए की दो छोटी और काले रंग की आंखें व कान उसकी आँखों के पीछे बालों में छुपे होते है जिसकी सहायता से यह सुनता हैं जबकि किसी को भी इनके कान दिखाई नही देते। इनकी छोटी चोंच होती ही परन्तु बहुत की मजबूत होती हैं जिसकी सहायता से यह भोजन को तोड़ – मरोड़ व नोंच कर खातें है। इसके दो छोटे -छोटे पैर Dis-Shaped और नुकीले पंजे होते हैं और किसी भी वस्तु को पकड़ने के लिए यह अपने पंजों का ही इस्तेमाल करता है। इनके शरीर पर बहुत ही छोटे- छोटे बाल होते है जिसकी सहायता से यह सर्दी और गर्मी के मौसम में अपने आप को बचाए रखतें है। कौआ अपने शरीर पर लगे हुए दो पंख होते हैं जो कौए को उड़ने में सहायता करते हैं। परंतु इनके शरीर में कोई कोई समान समरूपता नहीं होती है
कौआ का जीवनकाल- कौवों का जीवनकाल लगभग 7 वर्ष का होता है। लेकिन कुछ प्रजातियों का जीवनकाल 14 वर्ष एक का भी होता है। कौआ सभी प्रकार के वातावरण में रह लेता है इसको जहां पर भोजन मिल जाता है यह वही पर अपना घोंसला बना लेता है
दुनिया में सबसे लम्बा जीवन तक जीने वाला कौवा की आयु 59 वर्ष थी। जंगल में औसतन इनकी आयु 15 से 20 वर्ष होती है और अगर पाला जाये और देखभाल की जाये तो 30 से 35 आयु तक की जीवन जी सकते हैं।
कौवों का भोजन :- कौवों भोजन अन्य पक्षियों की तुलना में थोड़ी अलग होता है क्योंकि यह सर्वाहारी होता है यह मनुष्य की तरह सभी प्रकार का भोजन कर लेता है। यह खेतों में कीड़े मकोड़े पनपने नहीं देता उनको भोजन के रूप में खा लेता है जिससे फसल अच्छी होती है। यह भैसों के ऊपर भी अधिकतर बैठते है जिससे यह भैंसों के शरीर पर चिपके कीटों को कहा सकें इससे इनको भोजन व भैसों को कीटों से छुटकारा मिल जाता हैं।
यह आमतौर पर समूह में रहना पसंद करता है और यह इंसानों से कम ही डरते है इसीलिए यह इंसानो के घरों की छतों पर बैठकर आराम करते हैं और उनकी छतों पर से खाने का खाना भी ले जाते हैं।
यह भोजन में कचड़े से सड़ी-गली वस्तुऐ मांस, मेढ़क, मछली, कीड़े मकोड़े, रोटी, डबल रोटी, सब्जियां, बीज, अनाज, नट, फल इत्यादि सभी तरह की वस्तुएं खा लेते है।
Related post – 5th to 8th class essay on crow in hindi
कौवों का रहन-सहन :- कौए हर तरह की प्रकृति के अनुकूल रह सकता हैं। यह पेड़ों और चट्टानों पर घोंसला बनाकर आसानी से रह सकते है। यह जंगलों, शहरों और गांवो में पाए जाते हैं। कौए आमतौर पर अन्य कौओं के साथ झुंड में रहना पसंद करता है। यह आमतौर पर समूह में रहना पसंद करतें है
इस पक्षी की उड़ानें बहुत अजीब होती हैं। यह आम तौर पर एक सीधी रेखा में उड़ते हैं। यह पक्षी बहुत ही लालची प्रवृति का होने के कारण यह हमेशा भोजन की तलाश में एक स्थान से – दूसरे स्थान पर विचरण करते रहते हैं। इसलिए यह कचड़े से सड़ी गली वस्तुऐ, मांस व सड़कों पर फेके जाने वाले खानों को यह बहुत पसंद करता है इन्हें जहां भी भोजन मिल जाता हैं ये वही पर अपना घोंसला बनाकर रहने लगतें हैं।
कौवों की रोमांचित व आश्चर्यचकित करने वाली बातें:- 1. कौए इंसानों द्वारा फैलाए गए कचरे को खाकर प्रकृति को स्वच्छ रखने में सहायता प्रदान करता है। इसलिए इसे सफाई पक्षी (cleaner bird) के नाम से भी जाना जाता हैं। यह एक सबसे छोटा पक्षी है जो बहुत ही चतुर, चालाक,और बुद्धिमान होता है, वे अपनी समस्या सुलझाने के कौशल और अद्भुत संचार कौशल के लिए जाने जाते है और यह दुनिया के सम्पूर्ण क्षेत्र में पाया जाता हैं।
2. यह खेतों में पनप रहे कीड़े – मकोड़े को अपने भोजन के रूप में खा लेता है इससे हम इंसानों की खेती में फ़ायदा होता है और खेतों में अच्छी फसल होती है।
3. नीदरलैण्ड में कौओं को सफाई कर की ट्रेनिंग देकर, इन्हें साफ सफाई के काम में लगाया गया है। जिससे यह सम्पूर्ण विश्व के लिए एक रोमांचित और आश्चर्यचकित कर देने वाली हो गई क्योकि वहां पर कौवे सिगरेट और अन्य छोटे-मोटे कूड़े करकट को उठाकर डस्टबिन में डालने का काम करते है।
4.अन्य पक्षियों की तुलना में कौवों के पास सबसे बड़ा मस्तिष्क होता है। कौए के मस्तिष्क की संरचना मनुष्यों के मस्तिष्क के समान ही होती है। एक कौए में सात साल के बच्चे के सामान दिमाग पाया जाता हैं और इनकी याददाश्त शक्ति भी बहुत तेज होती है। कौवे अपनी याददाश्त क्षमता की वजह से मनुष्य के चेहरे को याद रख सकते हैं। कौवे बहुत ही सामाजिक होते हैं और इंसानों के साथ बहुत जल्दी घुल मिल जाते है, इसलिए वह इंसानों को कोई नुकसान नही पहुचाते हैं।
5. कौए पारिवारिक भी होते है और अपने परिवार के साथ रहना पसंद करते हैं और दोनों माता-पिता अपने बच्चों का ख्याल रखते हैं उन्हें उड़ने और खाना खिलाने में मदद करते हैं। यह कभी भी अपने समूह के कौए को बुरी सी बुरी परिस्थितियों में अकेला नही छोड़ते और समस्या का समाधान व सुलझाने में कौशल रखते है इसलिए यह अपनी अद्भुत संचार कौशल के लिए जाने जाते हैं। और इन्हें हार न मानने वाले पक्षियों की श्रेणी में भी रखा गया हैं।
6. दुनिया में सबसे अधिक वर्षों तक जीवित रहने वाले कौए की आयु लगभग 59 वर्ष थी जो अब विलुप्त हो चुके हैं। जंगल और गांवों के कौवों की औसतन आयु 15 से 20 वर्षों तक ही होती हैं। यदि कौवों की सही तरीके से देखभाल की जाए तो यह 30-35 वर्षो तक और जीवन जी सकते हैं।
7. दुनिया का सबसे छोटा कौवा मैसिस्को में पाया जाता है जो केवल 40 ग्राम वजन का है। दुनिया का सबसे बड़ा कौआ इथोपिया देश मे मिलता है जिसकी लम्बाई 65 सेंटीमीटर और वजन 1.5 किलो तक था।
Related post – 1st to 5th class essay on crow in hindi
कौआ की ध्वनि व आवाज :- कौवों की आवाज कर्कश होने के कारण लोगों को इसकी आवाज कठोर व बहुत ही असहनीय लगती है। यह सुबह होते ही ‘कांव-कांव’ की आवाज़ निकलना शुरू करते हैं। लोंगों को इनकी आवाज़ भले ही कठोर व कर्कश भरी लगती हो लेकिन इंसानों को कष्ट देने का मतलब बिल्कुल भी नहीं हैं। क्योंकि इंसान तो वैसे भी कड़क व कठोर बोली बोलने वालों को बुरा ही समझते हैं। वैसे देखा जाए तो यह हम इंसानों को आलसीपन को छोड़कर जल्दी उठने के लिए संदेश देता हैं।
भारत मे कौवा से जुड़ी मान्यताएं :- भारत में कौए को लेकर अधिकांश अंधविश्वास मान्यताये हैं जो निम्नलिखित हैं-
हमारे भारत देश मे लोग मानते हैं कि कौवा एक बदसूरत पक्षी है, इसलिए कोई भी कौवों को तोतों, कबूतर या मोर की तरह उसे घरों में नहीं पालते।
कुछ लोग यह भी मानते है कि कौवे पालने से घर मे हमेशा अशांति का वास हो जाएगा यानी लड़ाई-झगड़े होते रहेंगे क्योंकि इसकी ध्वनि कठोर व कर्कश भरी हैं।
भारत मे कौए को लेकर कुछ ऐसी मान्यताये भी है जो सत्य भी हैं जैसे –
कुछ लोगों की मान्यता हैं कि यदि उनका बच्चा बात करने या बोलने में असमर्थ हैं तो उस बच्चे को रविवार व मंगलवार के दिन कौए का झूठा भोजन खिलाने से बच्चा जल्दी बोलने लगता हैं।
मध्य-दिन में कौवा के शोर करने को, बुराई की भविष्यवाणी करने के लिए कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि कौवा मृत्यु के देवता यम के दूतों का प्रमुख है। और जब कोई भी इंसान अपने पूर्वजों का श्राद्ध (पिंड दान) पूजा पूरी विधि-विधान से पूर्ण करता है और पिंड दान में दिए गए भोजन को यदि कौए स्वीकार कर खा लेते हैं। तो वह यम के देवता कौवों के द्वारा यह संदेश समझ जाते हैं कि उनके पूर्वजों की आत्मा को शान्ति और मोक्ष की प्राप्ति हुई। यदि पिण्ड दान के भोजन को एक भी कौवा मुंह तक न लगाए और वहां से चले जाए तो लोगों को यह संदेश मिलता हैं कि उनके पूर्वजों की आत्मा को अभी तक मोक्ष व शांति नही मिली। जिससे उनके पूर्वजों की शान्ति के लिए किए गए पिण्ड दान (श्राद्ध) पूजन में कोई कमी रह गई या कोई दोष रह गया।
यदि कौए घर की छत या मुंडेर पर कांव-कांव की आवाज निकाले तो घर में कोई मेहमान की आने वाला है।
कौवों को लेकर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी हमारे जीवन से जुड़े कुछ शुभ व अशुभ संकेतों को सच माना जाता हैं।
उपसंहार- कौआ एक अच्छा पक्षी होता है जो हम इंसानों को बिना कोई नुकसान पहुचाये उनके शहर व गांवों में पेड़ों पर घोंसला बनाकर रहते हैं। जबकि यह हमारे पर्यावरण को स्वच्छ ही रखता है और हमारी फसलों और भैसों को कीड़े – मकोड़ों व कीटों से बचाता है। परंतु वर्तमान में कौवे की कुछ प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है और यह ऐसा इसलिए हो रहा हैं कि हमारे शहरों व गांवों को आधुनिक तकनीक वाला युग बनाया जा रहा है जो 3G,4G, और 5G मोबाइल टॉवर बनाये जा रहें हैं। इसलिए हमें ऐसा करने वाली कंपनियों के प्रति सख्त आवाज़ उठानी चाहिए और इन वेजुवां बेचारे कौऐ व अन्य पक्षियों को विलुप्त होने से बचाना चाहिए इसके साथ ही हमें सभी पक्षियों से प्यार करना चाहिए और उनका सरंक्षण भी करना चाहिए। क्योंकि पक्षी जैसा भी हो सुंदर या बदसूरत सभी को एक समान देखना चाहिए क्योंकि सभी को ही कुदरत ने बनाया है और कुदरत का बनाया हुआ कभी भी व्यर्थ नही होता क्योंकि इसी से ही प्रकृति का अस्तित्व जुड़ा हुआ है।
(धन्यवाद दोस्तों आपको यह आर्टिकल पढ़ने के लिए यदि आपको कौए पर निबंध अच्छा लगा तो हमे हमारे comment box में जाकर आप कमेंट कर सकते हैं और आप कौए से जुड़ी कोई भी जानकारी व प्रश्न भी पूछ सकते है हम आपको आपके प्रश्नों के उत्तर जरूर देंगे।)
Related post – Holi Essay in Hindi Holi Festival