
Navratri 2021: मां बगलामुखी (पीताम्बरा) की उतपत्ति, ध्यान और पूजन विधि आज के लेख में विस्तार से बताने जा रहें हैं, जिससे आप सभी भी नवरात्रि में मां बगलामुखी की उपासना पूरी विधि-विधान से करने पर मां की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि ज़िंदगी मे मुश्किलें तो आती हैं। समय बदलता है तो जिंदगी का चक्र भी बदल जाता है। सुख कब दुःख में बदल जाए और जीत कब हार में, यह सब कौन जानता हैं? ऐसे कठिन वक्त में देवी बगलामुखी की उपासना से मनोबल तो बढ़ता ही है साथ ही राजयोग और यश भी बढ़ जाता हैं। इसलिए तो मां बगलामुखी को राजयोग और यश की देवी भी कहते है।
ब्रह्मास्त्र रूपणी देवी माता श्री बगलामुखी।
चित शक्ति ज्ञान रूपा च ब्रह्मानन्द प्रदायनी।।
तंत्र शास्त्र की दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं देवी बगलामुखी। देवी को पीताम्बरा, बगला, बगलामुखी, बल्गामुखी इत्यादि नामों से भी जाता हैं। इसके अलावा मां देवी की वीर रति भी कहा जाता है, क्योंकि वे स्वयं ब्रह्मास्त्र रूपणी हैं। तांत्रिक इन्हें स्तम्भन की देवी मानते हैं। गृहस्थों के लिए वह समस्त प्रकार के संदेहों का शमन करने वाली हैं। भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में है। नवरात्रि (navratri) में प्रतिदिन बगलामुखी देवी का अभिषेक किया जाता है। नवरात्रि के पश्चात हर माह मंगलवार और शुक्रवार के दिन साधक और उपासक पूरी विधि-विधान से पीताम्बरा बगलामुखी देवी का अभिषेक करते हैं। तीन मुख वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का मंदिर मध्यप्रदेश के अगर जिले की तहसील नलखेड़ा में स्थित लखुंदर नदी के किनारे पर बना है। पीताम्बरा शक्तिपीठ के नाम से विख्यात देवी बगलामुखी का एक मंदिर दतिया जिले और दूसरा छतरपुर जिले में भी स्थित है।मान्यता है कि बगलामुखी देवी का प्रतिदिन पीतोपचार से पूजन किया जाता है। देवी मां के पूजन का क्रम अभी भी इन जगहों पर अनवरत चल रहा है। चैत्र मास, आषाढ़ मास, आश्विन मास, माघ मास इन चारोंमाह की नवरात्रियों में देश के कोने-कोने से शक्ति के उपासक (साधक) साधना करने के लिए श्री पीताम्बरा शक्तिपीठ पर आते हैं और आश्रम में निवास कर अह्निर्ष (दिन-रात) साधना कर मन्त्र की सिद्धि प्राप्त करते हैं। अतः भारत के हिमाचल प्रदेश एक और मध्यप्रदेश राज्य में पीताम्बरा बगलामुखी देवी के तीन प्रमुख स्थल है।
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मां बगलामुखी (पीताम्बरा) देवी की उतपत्ति
मां बगलामुखी (पीताम्बरा) का प्राकट्य सौराष्ट्र में हरिद्रा सरोवर से हुआ है। मान्यता है कि एक बार सतयुग में महाविनाश करने वाला तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे सम्पूर्ण विश्व नष्ट होने लगा। यह देखकर भगवान विष्णु चिंतित हो गए और शिव का स्मरण करने लगें। तब भगवान शिव ने कहा कि माता पार्वती के शक्ति रूप के अतिरिक्त कोई अन्य इस विनाश को रोक नही सकता, उनकी शरण में जाऐं। भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर कठोर तप किया। उनके तप से देवी शक्ति प्रकट हुईं। पीताम्बर वस्त्र धारण किए हुए, हरिद्रा झील पर क्रीड़ा करती देवी मां के ह्रदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ, इस तेज से तूफान थम गया। मंगल युक्त चतुर्दशी की अर्धरात्रि में देवी शक्ति का बगलामुखी के रूप में प्रादुर्भाव हुआ। मां बगलामुखी ने प्रसन्न होकर भगवान विष्णु को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रुक सका। इस तरह मां पीताम्बरा(बगलामुखी) की उत्पत्ति हुई और तभी से मां देवी बगलामुखी (पीताम्बरा) नाम से विख्यात हुई।
नवरात्रि में मां बगलामुखी (पीताम्बरा) देवी का ध्यान और पूजन विधि
भगवती बगलामुखी देवी को पितोपचार (पीताम्बर) प्रिय है।, अतः बगलामुखी देवी को प्रतिदिन प्रातः पूजन के दौरान में पीले वस्त्र धारण करती हैं। पीताम्बर धारण करने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहते हैं। सांयकाल के तांत्रिक पूजन में बगलामुखी देवी रविवार को गुलाबी, सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरी, गुरुवार को पीले, शुक्रवार को लाल और शनिवार को काले रंग की पोशाक धारण करती हैं। पीला वस्त्र धारण कर, पीला आसन, पीली गौमुखी हरिद्रा, हल्दी की माला, गाय के घी से दी प्रज्वलित कर साधक पीले ऊन के आसन पर बैठकर मंगलाचरण कर संकल्प करें। प्रथम दिवस जिस समय जाप आरम्भ करें, प्रतिदिन उसी समय जाप करें और प्रथम दिवस मंत्र जाप की जितनी संख्या है, उतनी ही संख्या रखें। कम या ज्यादा न करें।
शत्रु को परास्त करने के वाला मां बगलामुखी का यह शत्रु परास्त मंत्र
ॐ ह्लीं बगलामुखी अमुक (शत्रु का नाम लें ) दुष्टानाम वाचं मुखम पदम स्तम्भय स्तम्भय ।
जिव्हां कीलय कीलय बुद्धिम विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।।
मुकदमा, भूतप्रेत, आधिदैविक और आधिभौतिक समस्याओं से मुक्त करने वाला मां बगलामुखी का एक मात्र शुद्ध बीजमंत्र
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखम पदम् स्तम्भय ।
जिव्हां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ।।
सामाजिक या राजनैतिक बलप्रदाता मां बगलामुखी का यह राजयोग मंत्र
ॐ हुं हां ह्लीं देव्यै शौर्यं प्रयच्छ।
हर मुश्किल घड़ी में सुरक्षा प्रदान करने वाला मां बगलामुखी का यह सुरक्षा कवच मंत्र
ॐ हां हां हां ह्लीं बज्र कवचाय हुम।
भूतप्रेत, मुकदमा, धन की कमी, राजनैतिक समस्या और शत्रु परास्त इत्यादि समस्त परेशानियों से दूर कर देता हैं। 36 अक्षरों वाला मां बगलामुखी का यह महामंत्र
‘ऊं हल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीं ऊं स्वाहा’
प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए मां बगलामुखी का यह सफलता मंत्र
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहा:
बच्चों को रोगों से, दुर्घटनाओं से, ग्रह दशा से और बुरी संगत से बचाने के लिए पीताम्बरा देवी का यह रक्षा मंत्र
ॐ हं ह्लीं बगलामुखी देव्यै कुमारं रक्ष रक्ष।
पूजा अर्चना में करने योग्य कुछ अन्य नियम
- मां पीताम्बरा (बगलामुखी) देवी के इन सभी मंत्रो का हल्दी की गांठ या रुद्राक्ष से बनी हुई की माला से जाप तथा मन्त्रों में से अपनी इच्छानुसार किसी एक मंत्र का जाप संख्या 5,7,9,11,21,51,101,108 इत्यादि क्रमों में करना चाहिए।
- शुद्ध आहार ग्रहण करना चाहिए।
- ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए।
- मांसाहारी, तामसी भोजन और मदिरा से दूर रहें।
- पूजन में पीले रंग का भोग लगाएं और पूजन के बाद वह भोग कन्याओं में बांट दें।
- जरूरत मन्द को धन, भोजन, वस्त्र इत्यादि वस्तुओं का दान करें।
- पूजन में साधक भी पीले वस्त्र धारण करें।
- पूजन के बाद घर के एक-एक कोने में गंगाजल का छिड़काव अवश्य करें।