
Diwali kyun manai jati hai दिवाली भारत में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है. दिवाली को दीपावली भी कहते हैं. दीपावली पर्व हिन्दूओं का प्रमुख त्यौहार है, इस पर्व का धार्मिक महत्व होने के साथ साथ पौराणिक महत्व भी है. इस त्यौहार को सभी हिन्दू भारतवासी बड़े प्रेम और ख़ुशी भाव से मनाते हैं.
Diwali kyun manai jati hai
दिवाली क्यों मनाई जाती है?
जब प्रभु श्री राम चौदह बर्ष का वनबास काटकर वापिस अयोध्या आये थे तब लोगों ने उनका स्वागत घी के दिये जलाकर किया था. तभी से इस दिन को सभी हिन्दू लोग दीपावली के रूप में मनाते हैं. दिवाली भारत के सारे प्रान्तों तथा विश्व के कई अन्य भागों में भी काफी हर्षोल्लास तथा ख़ुशी के साथ मनाई जाती है। दिवाली रोशनी का त्यौहार है. दिवाली के इस दिन को अँधेरे को समाप्त कर प्रकाश को फैलाना है. इसलिए इस पर्व को प्रकाशोत्सव का पर्व भी कहा जाता है. रौशनी के इस पर्व पर सभी खुशियाँ एक साथ मिल जाती हैं.
जब भी दिवाली का त्यौहार आता है साथ में अनेक खुशियाँ साथ लाता है. दिवाली के इस त्यौहार के साथ धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज आदि त्यौहार दिवाली के साथ-साथ ही मनाये जाते हैं. इस त्यौहार पर लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है.
Diwali festival Ki Ronak
दिवाली के इस त्यौहार पर सभी लोग अपने घरो की सफाई करते है. घरो को सजाते है. दिवाली के पर्व से कुछ दिन पहले से ही घरो की सफाई, घर की पुताई सुरु हो जाती है. दिवाली के दिन तक घर को अच्छी तरह से सजा लिया जाता है. घर को रौशनी से सजाया जाता है तरह तरह के चमकदार रोशनी वाले आइटम लाते है जिससे घर में ज्यादा रोशनी हो. दिवाली के एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है और अगले दिन बड़ी दिवाली मनाते हैं.
बड़ी दिवाली पर घर में दिए जलाये जाते हैं और पूरा घर रोशनी युक्त रहता है. बच्चे और बड़े सभी इस दिवाली की रात पटाके छोड़ते है और खुशियाँ मनाते हैं.
दिवाली के दिन लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये जो व्यक्ति कर्मशील रहता है, सदाचार का पालन करता है, बुरे कार्यो से दूर रहता है. वहां लक्ष्मी जी स्वयं निवास करती है. और उस परिवार में हमेशा खुशियाँ ही खुशियाँ होती हैं.
दिवाली के इस पावन पर्व पर सभी चाहते है की उनके यहाँ लक्ष्मी जी आयें और उन्हें आशीर्वाद प्रदान करें.
Diwali kyun manai jati hai – दिवाली की कहानी
5 दिनों का है ये दिवाली त्योहार
दिवाली का यह पावन पर्व पांच दिनों तक चलता है. दिवाली तीनों पर्वों का मिश्रण है, ये हैं- धनतेरस, नरक चतुर्दशी और महालक्ष्मी पूजन. नरक चतुर्दशी को छोटी दीवाली या छोटी दीपावली भी कहा जाता है. दीपावली की शुरूआत धनतेरस से होती है, जो कार्तिक मास की अमावस्या के दिन पूरे चरम पर आती है. कार्तिक मास की अमावस्या की रात को घरों और दुकानों में दीपक, मोमबत्तियां और बल्ब लगाए और जलाए जाते हैं. इस दिन लोग अपने घर के लिए खरीदारी करते हैं. इस दिन सामान खरीदना शुभ माना जाता है.
दिवाली का महत्त्व
दिवाली के इस पावन पर्व का बहुत ही महत्त्व है. इस दिन भगवान् राम अपने भाई लक्ष्मण और अपनी पत्नी सीता के साथ 14 बर्ष का वनबास काटकर अपने घर अयोध्या वापिस आये थे. उनके घर वापिस आने की ख़ुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दिए (दीपक) जलाए थे. तभी से इस दिन को दीपावली के रूप में मनाते हैं. दिवाली के इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जीता है.
Diwali lakshmi Puja दिवाली पूजा कैसे करें

दिवाली के इस पावन पर्व पर लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है इस पूजा का बहुत ही महत्त्व होता है. इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी के पूजन के रुप में उनका स्वागत किया जाता है. दीवाली के दिन जहां गृहस्थ और वाणिज्य वर्ग के लोग धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और वित्तकोष की कामना करते हैं. लक्ष्मी जी की पूजा पूरे प्रेम और विश्वास के साथ करनी चाहिए. इनकी पूजा करने से घर में होने वाले दुःख दूर हो जाते है घर का कलेश मिट जाता है. और बस खुशियाँ ही खुशियाँ होती हैं.
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