
अक्षय तृतीया के पर्व का महत्व (Akshaya Tritiya ke Parv ka Mahattv)
पंचांग के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। अन्य प्रान्तों या क्षेत्रों में इस तिथि को आखा तीज और अक्ती तीज के नामों से भी जाता हैं।
हिंदू धर्म में पौराणिक ग्रन्थों और धार्मिक शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया को बेहद ही पवित्र पर्व और शुभ माना जाता है। अक्षय का शाब्दिक अर्थ हैं अनंत और ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उसका अनन्त फल या शुभ फल प्राप्त होता है।
अक्षय तृतीया पर्व की पूजा और पूजन विधि (akshaya Tritiya Parv ki Pooja aur Poojan Vidhi)
अन्य प्रान्तों या क्षेत्रों की परम्पराओं से अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की पूजा अलग – अलग पूजन विधि से की जाती हैं, साथ ही भगवान शिव और पीपल के पेड़ की भी पूजा की जाती हैं, क्योंकि कहा जाता हैं कि पीपल के पेड़ में सभी देवी – देवताओं का वास होता हैं। पीपल के पेड़ में इच्छापूर्ति धागे को लपेटकर इच्छानुसार परिक्रमा करते है। इससे अक्षय पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है और महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत, पीले और लाल पुष्प चढ़ाना, घी का दीपक जलाकर बने हुए शुद्ध भोजन या पकवान का भोग लगाया जाता हैं। और साथ ही विष्णु प्रिया महालक्ष्मी के मंत्र का जाप किया जाता हैं जिससे महालक्ष्मी की अनन्त कृपा आप पर बनी रहे।
1. सुख – समृधि के पाने के लिए लक्ष्मी मन्त्र-
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
2. दरिद्रता दूर करने के लिए माँ लक्ष्मी मंत्र-
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
3. पारिवारिक सुख और समृधि और धनवान बनने के लिए महालक्ष्मी मंत्र
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
अक्षय तृतीया पर क्या शुभ कार्य करें ?(Akshaya Tritiya Par Kya Shubh Kaam Karna Khahiye)
- अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर आप आपनी स्वेच्छा से किसी गरीब को धन, रुपये-पैसे, अनाज, भोजन, कपड़े या उसके जरूरत के अनुसार उसको किसी वस्तु का दान जरूर देना चाहियें।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पावन दिन गंगा स्नान करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है।
- अक्षय तृतीया के दिन किसी भी तरह का शुभ कार्य किया जा सकता है-
जैसे- मकान उद्घाटन, नई दुकान उद्धघाटन, सगाई शादी-विवाह, मकान नींव रखना, नया मकान खरीदना इत्यादि। - इस दिन पितृ संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शीवाद प्राप्त होता है। और पितरों के नाम से जल, कुंभ, शक्कर, सत्तू, पंखा,छाता फलादि का दान करना बहुत ही शुभ फलदायी होता है। जल से भरा हुआ घड़ा, शक्कर, गुड़, बर्फी, सफेद वस्त्र, नमक, शरबत, चावल, चांदी का दान भी किया जाता है।
- सदियों से अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की परंपरा है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो भी धातु खरीदी जाती हैं, वो भविष्य में आगे बढ़ती है। इसमें दिन दूगनी रात चौगनी उन्नति होती है, इसलिए इस दिन स्वर्ण आभूषण खरीदने से घर में सुख, समृद्धी की प्राप्ति के साथ लक्ष्मी की कृपा घरों पर बनी रहती है।
शुभ मुहूर्त( Shubh Muhurat)
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया का पर्व बहुत ही पवित्र पर्व माना गया हैं। इसलिए अक्षय तृतीया की तिथि आरम्भ होते ही पूरे दिन शुभ तिथि मानी जाती हैं। इसलिए इस तिथि में कोई भी शुभ कार्य करने के लिए शुभ मुहूर्त देखने को ज्यादा महत्वपूर्ण नही माना गया हैं।
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