
आजकल लड़कियों और लड़कों में भेदभाव नही रह गया। क्योंकि आज लड़कियां भी पढ़-लिखकर लड़कों से ज्यादा उन्नति कर रही हैं। परन्तु आज भी इस नए और आधुनिक युग में अधिकांश लोगों की इच्छा आज भी संतान प्राप्ति की ही होती हैं। क्योंकि वंश तो लड़कों से ही आंगे बढ़ता हैं लड़की का तो दूसरे घर में विवाह हो जाता हैं। भले हो लोग लड़कियों को कितना पढ़ा लिखा लें उसके पैरों पर खड़ा जार दें, लेकिन पुत्र प्राप्ति की कमी तो बनी ही रहती हैं। यही कारण हैं कि विवाहोपरांत दंपति को संतान प्राप्ति की प्रबल उत्कंठा होती है। जातक की जन्म कुंडली के अनुसार संतान योग जैसा भी विद्दमान होता है उसी अनुसार ही जातक को संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है। फिर भी ज्योतिषानुसार कुछ प्रयासों और उपायों से मनचाही संतान प्राप्त की जा सकती हैं, अर्थात प्रयत्न पूर्वक कर्म करने से कुंडली में बैठे ग्रहों को बदला तो नही परन्तु उनसे अच्छे परिणाम जरूर प्राप्त किए जा सकते है। दोस्तों यदि आप भी इच्छुक हैं मनचाही संतान पाने के तो, wikiluv वेबसाइट के माध्यम से आज हम आप सभी को मनचाही संतान प्राप्त करने के अचूक उपाय , मनचाही संतान प्राप्ति करने के नियम और शुभ दिन जो आपको इच्छानुसार संतान प्राप्ति का प्रबल योग बनेगा।
इच्छानुसार या मनचाही संतान प्राप्त करने के उपाय
गर्भाधान एक प्रकार का यज्ञ है। इसलिए इस समय सतत यज्ञ की भावना रखनी चाहिए विलास की दृष्टि नही रखनी चाहिए। ऋतुकाल की उत्तरोत्तर (शुक्ल पक्ष) की रात्रियों में गर्भाधान श्रेष्ठ है। लेकिन 11 वीं व 13 वीं रात्रि को गर्भाधान वर्जित है। अतः योग्य संतान (पुत्र या पुत्री) प्राप्त करने के इच्छुक दंपति अगर निम्न नियमों का पालन करें तो अवश्य ही उत्तम संतान (पुत्र या पुत्री) प्राप्त होगा।
पुत्र (बेटा) प्राप्ति के लिए उपाय
- यदि पुत्र की इच्छा रखने वाले दम्पत्तियों को पत्नी के मासिक धर्म शुद्धिकरण के उपरांत ऋतुकाल की 2, 4, 6, 8,10, 12, 14 वीं रात्रि में से किसी एक रात्रि का शुभ दिन और मुहूर्त पसंद कर समागम करना चाहिए।
- स्त्री को हमेशा पुरूष के बायें तरफ़ सोना चाहिये, कुछ देर बांयी करवट लेटने से दायां स्वर और दाहिनी करवट लेटने से बांया स्वर चालू हो जाता है। इस स्थिति में जब पुरूष का दांया स्वर चलने लगे और स्त्री का बांया स्वर चलने लगे तब संभोग करना चाहिये।इस स्थिति में अगर गर्भाधारण हो गया तो अवश्य ही पुत्र उत्पन्न होगा। स्वर की जांच के लिये नथुनों पर अंगुली रखकर ज्ञात किया जा सकता है।
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कन्या (पुत्री) प्राप्ति के लिए उपाय
- यदि पुत्री की इच्छा हो तो ऋतुकाल की 3, 5, 7 या 9 वीं रात्रि में से किसी एक रात्रि का शुभ मुहूर्त पसंद कर समागम करना चाहिए।
- योग्य कन्या संतान की प्राप्ति के लिये स्त्री को हमेशा पुरूष के दाहिनी और सोना चाहिये। इस स्थिति मे स्त्री का दाहिना स्वर चलने लगेगा और स्त्री के बायीं तरफ़ लेटे पुरूष का बांया स्वर चलने लगेगा इस स्थिति में अगर गर्भधारण करने की प्रक्रिया होती है तो निश्चित ही सुयोग्य और गुणवती कन्या संतान प्राप्त होगी।
मनचाही संतान प्राप्त करने के नियम
- वैसे आप चाहें तो 7 दिनों में से किसी भी एक दिन समागम कर सकते हैं- परन्तु उत्तम, गुणी और हर जगह नाम और यश प्राप्त करने वाली संतान को पाने के लिए शुभ दिन सोमवार, बुधवार, शुक्रवार और गुरुवार को ही समागम कर गर्भाधान करना चाहिए।
- गर्भधान के दौरान दम्पति गर्भ के विषय में मन लगाकर रहें, अर्थात इधर उधर की बातें ना करें। इससे तीनों दोष अपने-अपने स्थानों में रहने से स्त्री बीज को ग्रहण करती हैं। विधिपूर्वक गर्भधारण करने से इच्छुक फल प्राप्त होता हैं।
- दम्पत्ति अपनी चित्तवृत्तियों को परमात्मा में स्थिर करके उत्तम आत्माओं का आह्वान करते हुए प्राथर्ना करें कि- ‘ हे ब्रह्माण्ड में विचरण कर रही सूक्ष्म रूपधारी पवित्र आत्माओं! हम दोनों आपको हाँथ जोड़कर प्राथर्ना कर रहे हैं कि हमारे घर, जीवन व देश को पवित्र तथा उन्नत करने के लिए आप हमारे यहाँ जन्म लेकर हमे कृतार्थ करें दोनों अपने शरीर, मन, प्राण व बुद्धि को आपके योग्य बनाएंगे।